कनक तिवारी बोले- कार्पोरेटीकरण ने छीन लिया आदिवासियों का हक…
मीडिया के आज के दौर में सियासत Byte…से चलती है…।आरोप हो…प्रत्यारोप होया किसी को अपनी कोई बात सामने रखना हो…Byte…के जरिए ही लोगों तक पहुंचती है….। “एक ….Byte …और…” के जरिए हम सियासत में आ रहे बदलाव से जुड़े सवालों को लेकर राजनीतिक लोगों तक पहुंच रहे हैं, जिसके जरिए यह समझने की कोशिश है कि आखिर ये बदलाव क्या है,क्यों है….कैसा है….और इसका राजनीति पर क्या असर पड़ रहा है। इस सीरीज में अब कि बार कनक तिवारी के साथ cgwall.com की बातचीत के अँश शेयर कर रहे हैं…कनक तिवारी वरिष्ठ औक जाने-माने अधिवक्ता हैं ….और अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही छत्तीसगढ़ की राजनीति को काफी नजदीक से देखा है और उस पर टिप्पणी भी करते रहे हैं। उनका मानना है कि कार्पोरेटीकरण की वजह से बड़ा बदलाव आया है और इससे खासकर छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में आदिवासियों को नुकसान हो रहा है, उन्हे उनका बहक नहीं मिल पा रहा है….। cgwall.com की खास पेशकश एक …Byte…. और.. में अपनी बात रखते हुए कनक तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जिस संपदा पर सामूहिक हक होना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है। आज यह सवाल भी अहम् है कि क्या हम आने वाली पीढ़ी के लिए पीने का पानी भी छोड़ पाएंगे….?
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कनक तिवारी ने अपने लम्बे अनुभव के आधार पर cgwall.com से देश -प्रदेश की राजनीति में आ रहे बदलाव पर लम्बी बात की और बताया कि पहली बार देश को पं जवाहर लाल नेहरू के रूप में एक धाकड़ प्रधानमंत्री मिला था। जिनकी बौद्धिक ताकत को पूरी दुनिया मानती थी। उनके साथ ही यह दौर चला गया और वैसी प्रशासनिक क्षमता फिर नहीं दिखाई दी। कनक तिवारी राजीव गाँधी के कार्यकाल को कई मायने में राजनीति में अलग मानते हैं। जो राजनीति में सुचिता , सफाई और अच्छे मूल्यों की स्थापना के पक्षधर थे। उन्होने इस दिशा में कोशिश भी की। लेकिन राजनीति के पुराने खिलाड़ियों ने उन्हे घेर लिया। फिर भी उन्होने दलबदल कानून, स्वास्थ -सफाई मिशनऔर नैतिक चरित्र पर अच्छा काम किया।
आज के दौर की राजनीति के बारे में कनक तिवारी कहते हैं कि यह देश को पश्चिम की तरफ धकेलने का दौर है। जिसमें हम अपनी पुरानी तटस्थता की पहचान से दूर होते जा रहे हैं।पश्चिम-अमरीका और दक्षिणपंथ की ओर झुकाव बढ़ता जा रहा है। इसी के साथ अपने संविधान की उद्देश्यिका से भी हटते जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के नेतृत्व से जुड़े सवाल पर उन्होने कहा कि राज्य की स्थापना के तुरत बाद कांग्रेस ने यहा जिस तरह का नेतृत्व दिया और उस नेतृत्व ने फिर से चुनाव में जीतने के लिए व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और आत्म मुग्धता में जिस तरह के फैसले लिए उससे कांग्रेस को तो पराजित होना था। इस सिलसिले में उन्होने सवा सौ विश्वविद्यालय की स्थापना, पीएमटी परीक्षा पर रोक और आदिवासियों के नेतृत्व को खरीदने की कोशिश जैसै फैसलों का जिक्र भी किया।उन्होने कहा कि यह छत्तीसगढ़ के मौजूदा सीएम का सौभाग्य और संयोग है कि उन्होने अपराजेय मोती लाल वोरा को एक चुनाव में शिकस्त दी। इसके लिए अटल विहारी बाजपेयी को बधाई देते हुए कनक तिवारी कहते हैं कि उन्होने ऐसे व्यक्ति को खोजकर निकाला जिससे बीजेपी को लम्बी दूरी का सीएम मिल गया। लेकिन कनक तिवारी देश और प्रदेश के संसाधनों के कार्पोरेटीकरण के लेकर चिंतित हैं । उनका कहना है कि जिस तरह कार्पोरेट समर्थक नीतियां बना दी गई हैं, उससे लोहा.तांबा कोयला जैसे खनिज संसाधनों पर आदिवासियों का हक नहीं रह गया है। जिससे भविष्य उज्जवल नजर नहीं आता और लगता है कि हम आने वाली पीढ़ी के लिए क्या पीने का पानी भी छोड़ जाएँगे।