मेरी नज़र में…

“बुलेट” की रफ़्तार से बड़ी मंज़िलों की ओर  सुशांत की सवारी….!

“ये बुलेट मेरी जां….

मंज़िलों का निशां..

लंबी राहों पे ये क्या गज़ब की चले,

रास्ते तय करे – फ़ासले तय करे,

ये बुलेट मेरी जां… मंज़िलों का निशां…”

ये गाना जानी – मानी दुपहिया सवारी बुलेट के इश्तहार में लोग काफ़ी पहले से सुनते आ रहे हैं…।ये लाइनें इस दुपहिया रॉयल सवारी की खूब़ियों को बयान भी करती है और इस मोटरबाइक की ख़ूबियों से मेल भी ख़ाती हैं। इसी मोटरबाइक की सवारी करने वाले सुशांत शुक्ला इन दिनों जिस तरह तामझाम और शोर सपाटे के बिना अपने पुराने अंदाज़ में लोगों के बीच पहुंच रहे हैं, वह ना केवल उनकी शख़्सियत से मेल खाता है, बल्कि बुलेट की रफ़्तार से लंबे रास्ते पर बड़ी मंज़िलों के निशान भी नज़र आने लगे हैं। जो उन्हे अपने राजनीतिक मार्गदर्शक दिलीप सिंह जूदेव की तरह लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।

विधानसभा चुनाव में बिलासपुर जिले की बेलतरा सीट से बीजेपी के सुशांत शुक्ला जीत कर आए हैं। इसके साथ ही बिलासपुर इलाके और उत्तर छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक जुझारू, ऊर्जावान और तेज तर्रार नेता उभर कर सामने आया है। इसके जरिए बीजेपी में युवा नेतृत्व की तलाश जहां पूरी हुई है । वही सुशांत शुक्ला के साथ आने वाले कल के लिए भी बेहतर संभावनाएं जुड़ी हुई है। छात्र और युवाओं के बीच राजनीति के साथ ही सामाजिक सेवा में सक्रिय रहे सुशांत शुक्ला के विधायक बनने के बाद इस इलाके की राजनीति में नए समीकरण के संकेत मिल रहे हैं। इस समय जबकि छत्तीसगढ़ में बीजेपी की नई सरकार का गठन हो रहा है। नए मुख्यमंत्री के रूप में आदिवासी नेता विष्णु देव साय का नाम तय हो चुका है। इसके साथ ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव और कवर्धा में मोहम्मद अकबर को हराकर चुनाव जीतने वाले विजय शर्मा को डिप्टी सीएम बनाए जाने की ख़बर है। 13 दिसंबर को शपथ ग्रहण की तारीख तय हुई है। चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चल रहा कयासों का दौर अब नए मंत्रियों के नामों के इर्द-गिर्द घूम रहा है। ऐसे में बिलासपुर इलाके की बेलतरा विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर आए नौजवान चेहरे सुशांत शुक्ला के नाम की चर्चा भले ही ना हो। लेकिन उत्तर छत्तीसगढ़ और बिलासपुर इलाके की सियासत में सुशांत शुक्ला के नाम पर एक अलग तरह के संभावनाओं की चर्चा जुड़ी हुई है।

सुशांत शुक्ला के व्यक्तित्व की बड़ी ख़ासियत है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, युवा मोर्चा, भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा और भाजपा संगठन में लंबे समय से सक्रिय रहने के बावजूद सभी पार्टी के नेताओं के बीच पॉपुलर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के जाने-माने लोकप्रिय नेता स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के काफी नजदीकी रहे सुशांत शुक्ला ने उन्हें ही अपना आदर्श बनाया। और उनके नक्शे कदम पर चलकर ही आगे बढ़ते रहे हैं। छत्तीसगढ़ की राजनीति में वे इस तरह सक्रिय रहे हैं कि करीब पूरे छत्तीसगढ़ में भाजपा संगठन के लोगों से उनके संबंध रहे। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर बड़े नेताओं के साथ भी उनका सीधा संपर्क बना रहा। इसके साथ ही कुमार दिलीप सिंह जूदेव फाउंडेशन के जरिए भी वे समाज सेवा के क्षेत्र में लगातार अपना काम करते रहे। इसके जरिए लोगों को स्वास्थ्य सुविधा भी मुहैया कराई जाती है और 100 जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी यह फाउंडेशन वहन करता है। सुशांत शुक्ला को बचपन से ही आरएसएस के संस्कार मिले हैं। उनके पिता हीरामणि शुक्ला संघ के विचारक के रूप में अपनी पहचान रखते हैं। जबकि उनके परिवार के ही नंदकिशोर शुक्ला छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के जरिए छत्तीसगढ़ी भाषा को स्थापित करने के लिए लगातार अभियान चलाते रहे हैं। सुशांत शुक्ला पार्टी संगठन में भी खुलकर अपनी बात रखने के लिए पहचाने जाते हैं। संघ की पृष्ठभूमि से होने की वजह से उन्होंने खरी – खरी बात कहने में भी कभी संकोच नहीं किया।

छात्र राजनीति में स्कूल , कॉलेज और यूनिवर्सिटी छात्र संघ के चुनाव में भी वे सक्रिय रहे । साथ ही रेलवे जोन से लेकर हवाई सुविधा तक सभी जन आंदोलन में भी उनकी बराबर की हिस्सेदारी रही है। बेलतरा विधानसभा सीट से सुशांत शुक्ला की जीत के साथ ही बीजेपी को इस इलाके में एक तेज तर्रार – ऊर्जावान युवा चेहरा मिल गया है। यह इत्तेफाक है कि सुशांत शुक्ला के मार्गदर्शक दिलीप सिंह जूदेव को भी बीजेपी ने 90 के दशक में कुछ इसी तरह पेश किया था। खरसिया उपचुनाव के मैदान में उतरकर दिलीप सिंह जूदेव ने एक अलग पहचान बनाई थी। इसी पहचान ने उन्हें छत्तीसगढ़ का सबसे लोकप्रिय जननेता बना दिया। उनकी यह पहचान उनके जीते जी कायम रही। दिलीप सिंह जूदेव के नक्शे कदम पर चलते हुए सुशांत शुक्ला भी इसी तरह की संभावनाओं को साथ लेकर आगे आए हैं। उनकी जीत के साथ ही बीजेपी को ऐसा नेता मिल गया है , जिसके जरिए वह अपना कोर एजेंडा इस इलाके में भी जमीन पर उतार सकती है । कवर्धा से जीतकर आए विजय शर्मा को अहमियत दिए जाने के पीछे भाजपा की रणनीति को समझने वाले इस बात का अंदाज लगा सकते हैं कि उत्तर छत्तीसगढ़ के इस इलाक़े के लिए सुशांत शुक्ता की क्या अहमियत हो सकती है।अपनी तेज तर्रार पहचान रखने वाले वाले सुशांत शुक्ला खाली जगह को भरने का माद्दा रखते हैं।

वैसे भी इस इलाके में जनसंघ के समय से लेकर बीजेपी तक ब्राह्मण समुदाय से मनहरण लाल पाण्डेय, मदन लाल शुक्ला,बद्रीदर दीवान जैसे दिग्गजों का अपना एक स्थान रहा है।इस फ़ेहरिस्त में अपना नाम जोड़ने के लिए सुशांत शुक्ला के साथ संभावनाएं जुड़ी रहेंगी। उनके विधायक बनने से छत्तीसगढ़ के इस इलाके के राजनीतिक समीकरण में नए बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं। जिसका असर आने वाले समय में भी नजर आए तो हैरत की बात नहीं होगी।। विधायक बनने के बाद भी सुशांत शुक्ला आम लोगों के बीच अपने पुराने अंदाज में बुलेट मोटरसाइकिल के जरिए ही पहुंच रहे हैं। जिस तरह राजनीति में ताम-धाम और शान शौकत के बिना वे इस नई जिम्मेदारी के साथ एक सफर की शुरुआत कर रहे हैं, उसमें  कहीं ना कहीं बड़ी मंजिल की ओर इशारा भी देखा जा सकता है।

 

 

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